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चित्रकूट के घाट-घाट पर, शबरी देखे बाट - भजन

चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।

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तदा एव काश्चन परीक्षाः समाप्ताः भवन्ति।

भगवान शिव का प्रिय फूल कनेर का पुष्प माना जाता है, मान्यता है की भगवान शिव की पूजा में इस पुष्प के चढाने पर सभी मनोकामनये जल्दी पूर्ण होती है।

बिद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।।

अर्थ- अपनी पूजा को पूरा करने के लिए राजीवनयन भगवान राम ने, कमल की जगह अपनी आंख से पूजा संपन्न करने की ठानी, तब आप प्रसन्न हुए और उन्हें इच्छित वर प्रदान किया।

Whosoever gives incense, prasad and performs arti to Lord Shiva, with really like and devotion, enjoys substance joy and spiritual bliss In this particular environment and hereafter ascends to the abode of Lord Shiva. The poet prays that Lord Shiva eliminates the suffering of all and grants them Everlasting bliss.

सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रच्छक काहू को डर ना।।

कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥

अस्तुति चालीसा शिविही, सम्पूर्ण कीन कल्याण ॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय check here शिव…॥

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